ADD FREE SPACE

वेदों की ओर

सरस्वती माता की आरती || Saraswati Mata Aarti

सरस्वती माता की आरती


1 . सरस्वती माता की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।

   सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥

जय जय सरस्वती माता...॥

    

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला ।

शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया ।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो ।

मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो ।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥

॥ जय सरस्वती माता...॥


माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।

हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


जय सरस्वती माता,  जय जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

जय जय सरस्वती माता...॥


2 . आरती

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरन करत सुमति गति आये।

शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रूप अनादि शक्ति की।

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


नाम जपत भ्रम छूट दिये के, दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के।

मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के, उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की।

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


रचित जासु बल वेद पुराणा जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।

तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना, जो आधार कवि यति सती की।

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की।

आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।।

कोई टिप्पणी नहीं